मै नहीं हूं वहां जहा सोचती हो तुम मुझे होना चाहिए दर्द इतना भी नहीं तेरे जाने का मुझे रोना चाहिए।। सोचता हूं क्यों उन बीते हुए लम्हों को पाप कोई ऐसा भी नहीं किया कि मुझे धोना चाहिए ।। क्यों करू इस्तेक बाल नफ़रत से भरे पौधों का जब पैग़ाम यही है मोहब्बत के बीज बोना चाहिए ज़िन्दगी बहते दरिया के जैसे होती है एक बांध भी उसमें होना चाहिए।। ऐसा नहीं है कि तेरे जाने का कोई ग़म नहीं ।। दर्द इतना भी कम नहीं कि मेरे आंखे नम नहीं ............to be...