लग जा गले कि फिर हसीं रात हो ना हो
शायद फिर इस जनम में मुलाकात हो ना हो...
हैं
तो ये गाने की दो पंक्तियां , पर ना जाने कितने ख्वाईशों के दरीचे खोलती हैं, ये वो लाइनें , वो शब्द है जो शायद कहना चाहता था मैं तुमसे , या फिर सुनना चाहता था। ऐसे ही न जाने कितनी बातें , कितने अरमान थे तुम्हारे साथ मेरे ज़हन में , जिसे पूरा करना था,
जीना था तुम्हारे साथ जी भर के , ये समय खत्म होने से पहले पर ये हो नही सका। सोचता हूं हम दोनों में से कोई भी थोड़ी सी हिम्मत कर लेता , और बस गले लगा लेता दूसरे क #ज़िन्दगी
gokul
इन दूरियो को यूं ही निढाल करती रहना
जिंदगी है जब तक कमाल करती रहना..!! #लव
कितने सकून से देखते हैं
अपने ही लिखे लेखों को।
वो छलिया है
सब कुछ जानता है
पढ़ लेता है दिलो को।
जहा खुद ही धड़कता है
पकड़े रखता है उंगली।
किसी को छूटने नही देता। #शायरी