लग जा गले कि फिर हसीं रात हो ना हो
शायद फिर इस जनम में मुलाकात हो ना हो...
हैं
तो ये गाने की दो पंक्तियां , पर ना जाने कितने ख्वाईशों के दरीचे खोलती हैं, ये वो लाइनें , वो शब्द है जो शायद कहना चाहता था मैं तुमसे , या फिर सुनना चाहता था। ऐसे ही न जाने कितनी बातें , कितने अरमान थे तुम्हारे साथ मेरे ज़हन में , जिसे पूरा करना था,
जीना था तुम्हारे साथ जी भर के , ये समय खत्म होने से पहले पर ये हो नही सका। सोचता हूं हम दोनों में से कोई भी थोड़ी सी हिम्मत कर लेता , और बस गले लगा लेता दूसरे क #ज़िन्दगी