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जो कभी खास थे वो खास ना रहे दोस्त थे

जो    कभी    खास   थे  वो  खास  ना  रहे
दोस्त   थे   वो  जरूर   मगर   पास  ना रहे

बहुत आराम मै है आज वो घर को उजाड़कर
हम भी  बहुत खुश  है  कभी  उदास  ना  रहे

धीरे  से   बहाया  है   मिरे  अश्कों  को  उसने
कि  अब  किसी  साहिल  पर  विश्वास ना रहे

एक गिद्ध बैठा है इरफा"मेरी हर चाल ढाने को
मिरे  हर जीत  मै  शामिल  मिरे ही ताश ना रहे

©Irfan Saeed Writer
  ताश ना रहे
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