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पत्ते के टुकड़े रोज रात को छत पर आकर खुले आसमान

पत्ते के टुकड़े

रोज रात को छत पर आकर खुले आसमान 
में टहलना एक अलग ही आनंद है। रोज की
 तरह आज भी छत पर आया ।
पेड़ का एक पत्ता तोड़ा फिर थोड़ी देर उसके 
साथ खेला , गाल पर लगाया , बालों पर 
घुमाया फिर आखिर में उसको छोटे टुकड़ों
 में फाड़ा और फिर हवा में उछाल दिया।

अचानक ख्याल आया कि हमारी जिंदगी भी
 तो यही करती है। पहले तोड़ती है फिर  
खुशी देती है, भरपूर आनंद और सुकून देती 
है फिर कुछ समय बाद जब खुशियों की लत
 लग जाती है बढ़े प्यार से तोड़ती, फाड़ती है 
फिर हवा में उछाल देती है.। आखिरी में
 मिलता क्या है जमीन पर बिखरे टुकड़े। 

पत्ते के टुकड़ों को लात से हटाते हुए मैं नीचे
 आ गया।

©SHIVAM KARNE
  रोज का किस्सा with @shivamkarne

#lifeexpirience
shivamkarne5006

SHIVAM KARNE

New Creator

रोज का किस्सा with @shivamkarne #Lifeexpirience

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