रुठे रुठे से बैठे हो मन की बात बताओ तुम, ऐसी क्या नाराजगी है वह बात सामने लाओ तुम, कल भी हमने पूछा था तुम खोए खोए रहते हो, मन की बातें मन में रख क्यों नहीं मुझे कहते हो, क्यों ये दुखड़े सहते हो क्या हुआ है यह समझाओ तुम ऐसी क्या नाराजगी है वह बात सामने लाओ तुम बिना बताए पता नहीं है क्या मन में जिज्ञासा है कर देंगे दुख दूर तुम्हारा हमको पूर्ण आशा है दर्द तो अच्छा खासा है वह दर्द मुझे दिखाओ तुम, एसी क्या नाराजगी हैं वह बात सामने लाओ तुम सुंदर काया क्या रंग छाया क्या माया है पता नहीं दिल की बातें पूछ रहे हैं अपनी तो कुछ खता नहीं अब ज्यादा हमें पता नहीं अपना हाल सुनाओ तुम ऐसी क्या नाराजगी है वह बात सामने लाओ तुम मन में बैठा चोर बताओ बात जरा कर गौर बताओ, क्यू टूटी ये डोर बताओ शेरखान चितचोर बताओ, इतना हमको ना आजमाओ,दिल का दर्द दिखाओ तुम एसी क्या नाराजगी है वह बात सामने लाओ तुम, रुठे रुठे से बैठे हो मन की बात बताओ तुम, ऐसी क्या नाराजगी है वह बात सामने लाओ तुम, कल भी हमने पूछा था तुम खोए खोए रहते हो, मन की बातें मन में रख क्यों नहीं मुझे कहते हो, क्यों ये दुखड़े सहते हो क्या हुआ है यह समझाओ तुम ऐसी क्या नाराजगी है वह बात सामने लाओ तुम