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एकदिन बोलीं पार्वती जी शिव से मधुरी वानी मेरी ही द

एकदिन बोलीं पार्वती जी शिव से मधुरी वानी
मेरी ही दोनों बहनें हैं लक्ष्मी और ब्राह्मणी
उनका रंग महल है चमकता हम बैठे विरानों में
दोनों से मैं बड़ी हूं फिर भी पड़े हुए हैं पहाड़ों में
हंस कर बोले बाबा भोले हम हैं भोले दानी
एकदिन बोलीं पार्वती.....
अपना भाग्य स्वयं लिखा है मैं ही भाग्य विधाता
देनें को औतार लिया है मैं कहलाता दाता
मानी ना बाबा की बातें ज़िद पे अड़ी भवानी
एकदिन बोलीं पार्वती.....
विश्वकर्मा को बुला प्रभू जी लंका को बनवाए
खुश होकर के माता झूमे खूब प्रभू गुण गाए
गृहप्रवेश करवा के विश्रवा मांग लिया राजधानी
एकदिन बोलीं पार्वती......
होकर क्रुद्ध आदि शक्ति ने श्रापित कर दीं लंका
हंसे ठठाकर भोले शंकर भाग्य का बजता डंका
"सूर्य"कहें शिव बोल पड़े कैलाश चलो महारानी
एकदिन बोलीं पार्वती.....

©R K Mishra " सूर्य "
  #शिव
#शिव#और#पार्वती  Sethi Ji Rama Goswami अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर Ƈђɇҭnᴀ Ðuвєɏ Lavakush Chaubey