मृत्यु तो मुझे, मेरी ही मर्जी की देना तुम। भार बढ़ा रखा है जिन कंधों पर; थोड़ी मजबूती उनको भी देना तुम। मेरी "शैय्या" लेकर गुज़रे वो तो; आंखों से आंसू न बहने देना तुम। चिता की चिंगारी पहुंचे जो, फ़िर बादल बनकर आना तुम। काम रह गए अधूरे जो,उनको फिर पूरे कर देना तुम। हो सके यदि तो "कलाम वाली" मृत्यु ही देना तुम। मृत्यु तो मुझे, मेरी ही मर्जी की देना तुम। # "मृत्यु" तो मर्ज़ी की देना तुम!