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तुम समझते ही रहे,बस दूरियाँ थीं ! ये नहीं समझे की,

तुम समझते ही रहे,बस दूरियाँ थीं !
ये नहीं समझे की,कुछ मजबूरियाँ थीं !!

इस तरह तोड़ा था,नाजुक दिल हमारा,
जैसे नाजुक काँच की,कुछ चूड़ियाँ थीं !!

सब चलाते ही रहे सीने पे खंज़र,
तुम चलाये जो,गले पर छूरियाँ थीं !!

✍️✍️
रवि श्रीवास्तव

©Ravi Srivastava #Hope
तुम समझते ही रहे,बस दूरियाँ थीं !
ये नहीं समझे की,कुछ मजबूरियाँ थीं !!

इस तरह तोड़ा था,नाजुक दिल हमारा,
जैसे नाजुक काँच की,कुछ चूड़ियाँ थीं !!

सब चलाते ही रहे सीने पे खंज़र,
तुम चलाये जो,गले पर छूरियाँ थीं !!

✍️✍️
रवि श्रीवास्तव

©Ravi Srivastava #Hope