ताकती निगाहें बादलों के आर पार.. ठंडी हवाओं में ढूंढती किरणे अपार.. अरे नादान निगाहें खाये हिचकोलियाँ जाने ना क्या है आज सूरज का विचार। उछलती तमन्नाएँ अंधेरों के आर पार.. बुनती शीतल अंधकार में सपने हज़ार.. अरे असार तमन्नाए करें मनमानियाँ जाने ना क्या है आज चाँद का विचार। मचलती मस्तियाँ उजालों के आर पार.. धुंधलें मौसम में ढूंढती प्यार ही प्यार.. अरे निस्सार मस्तियाँ करें नादानियाँ जाने ना क्या है आज रोशनी का विचार। तड़पती जवानियाँ सर्दियों के आर पार.. स्वेटरों पर ढूंढती प्रीत के उदगार.. अरे बेजार जवानियाँ करें शैतानियाँ जाने ना क्या है आज बयार का विचार। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' ©Anand Dadhich #sardiyaan #dhundh #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia #winter