मैं अनवरत बहती रहूँ , सरिता के सम हरदम यूँ ही, जो आ मिले कंकड़ भी तो, मेरी प्रवाह कम न हो सके, तो रोकना मुझको ज़रा, अब कभी मुमकिन नहीं, अपने सुर में आ गई, तेरी लाडली माँ भारती, कह दे जरा पाषाण को, अब डर नहीं किसी का मुझे, अब है अडिग हर तरह से, तेरी लाडली माँ भारती, कमजोर मुझको करने को, चक्रवात हैं घिरे हुए, प्रभंजन का भी भंजन करे, तेरी लाडली माँ भारती, ऐ हवा जरा सुन तो ले, तू गौर से इस बात को, उसके भी रुख को मोड़ दे, तेरी लाडली माँ भारती ©®-मीनाक्षी #NojotoQuote #nojoto #nojotohindipoetry #confidence #change