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# स्वरचित काफ़ी दिनों के बाद मुझ | English Poetry

स्वरचित काफ़ी दिनों के बाद 
मुझे नहीं लगता की हम हर टूटी हुई चीज़ो को जोड़ सकते है 
हम हर बिखरी हुई चीज़ को समेट नहीं पायेगे
ना ही हम हर गिरती हुई चीज़ो को उठा पायेगे 
ना ही हम हर रूठे हुए इंसानों को माना सकते है 
पर हाँ हम इक कोसीस तो कर सकते है किसी कि ज़िंदगी में इक उम्मीद के बन जाने की
किसी गिर रहे इंसान को उठने की हिम्मत बन जाने की किसी उदास से शक्स को हँसा देने की
बाक़ी तो ईश्वर ने पूर्वरचित कर ही रखा है सब कुछ सबके लिये कोई ना कोई रास्ता कोई ना कोई शक्स कोई ना कोई वजह

स्वरचित काफ़ी दिनों के बाद मुझे नहीं लगता की हम हर टूटी हुई चीज़ो को जोड़ सकते है हम हर बिखरी हुई चीज़ को समेट नहीं पायेगे ना ही हम हर गिरती हुई चीज़ो को उठा पायेगे ना ही हम हर रूठे हुए इंसानों को माना सकते है पर हाँ हम इक कोसीस तो कर सकते है किसी कि ज़िंदगी में इक उम्मीद के बन जाने की किसी गिर रहे इंसान को उठने की हिम्मत बन जाने की किसी उदास से शक्स को हँसा देने की बाक़ी तो ईश्वर ने पूर्वरचित कर ही रखा है सब कुछ सबके लिये कोई ना कोई रास्ता कोई ना कोई शक्स कोई ना कोई वजह #Poetry

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