पापा की पसंद से शादी अरेंज कराके भी ठगी जाती है बेटियां बिका हुआ लड़का ही खरीददार लड़की को खिलाता है संखिया पापा नजरें और गर्दन झुकाए कहते हैं बिटिया पगड़ी मेरी बचाना मां कहती हैं किस्मत का लेखा तो किसी के मिटाए नहीं मिटता चुनाव परिवार का गलत भी हो जाए तो भी रिश्ता रखना संभाल उठता है मन में एक ही सवाल बगैर खता के भी क्यों है बुरा हाल बच्चों की पसंद में खोट अनगिनत गिनाते हुए लड़ते थे घरवाले जंग सही खुद को साबित नहीं कर पाए इसलिए तो हम रहने लगे है दंग बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla ठगी