खुशियाँ आएं जिंदगी मे तों चख लेना उन्हे मिठाई समझ कर ज़ब गम आएं जिंदगी मे तों वो भी घटक लेना दवा समझ कर ज़ो खुशिया दे तों थाम लेना उसका दामन जिंदगी मे रोना पडे तों टाल देना उसे हंस हँस कर खुशिया बटोरते उम्र गुजर गई पर खुश न हो सके हम फिर एक दिन अहसास हुआ खुश वही थे जिन्होंने खुशी कमाई थीं खुशियाँ बाँट कर ख़ुशी ही एक मात्र ऎसी वस्तु है ज़ो अपने पास न होते हुए भी देजाती है ख़ुशी हमेँ दूसरों को खुश देख कर ©Parasram Arora खुशियाँ ही खुशियां......