Nojoto: Largest Storytelling Platform

वो काग़ज़ की छोटी सी नाव कहीं खो गई है; चौराहे का बू

वो काग़ज़ की छोटी सी नाव
कहीं खो गई है;
चौराहे का बूढ़ा पीपल
अब उदास रहने लगा है।
अकेली गिल्ली, उदास है डंडे के बगैर।
छुटपन की बेरेंगगाड़ी गुमशुदा है।
प्यासे-प्यासे छटपटा रहे हैं नौले और धारे।
सत्तू,बाजरा,झुवर, कौणी, मडुवा, आख़री लड़ाई पर हैं।
नन्हें हाथों के बनाए मिट्टी के घर
पत्थर के मंदिर ज़मीदोज़ हैं।
आंगन वीरान हैं, ख़ाली मकान हैं।
बचपन की सुनहरी यादें अब,
महज़ यादें बनकर गयी हैं।
एकाएक बहुत से सवाल 
खड़े हो गए हैं।
साहब! अब हम बहुत 
बड़े हो हो गए हैं।      
                                      mani naman✍️ अब हम बड़े हो गए हैं।
वो काग़ज़ की छोटी सी नाव
कहीं खो गई है;
चौराहे का बूढ़ा पीपल
अब उदास रहने लगा है।
अकेली गिल्ली, उदास है डंडे के बगैर।
छुटपन की बेरेंगगाड़ी गुमशुदा है।
प्यासे-प्यासे छटपटा रहे हैं नौले और धारे।
सत्तू,बाजरा,झुवर, कौणी, मडुवा, आख़री लड़ाई पर हैं।
नन्हें हाथों के बनाए मिट्टी के घर
पत्थर के मंदिर ज़मीदोज़ हैं।
आंगन वीरान हैं, ख़ाली मकान हैं।
बचपन की सुनहरी यादें अब,
महज़ यादें बनकर गयी हैं।
एकाएक बहुत से सवाल 
खड़े हो गए हैं।
साहब! अब हम बहुत 
बड़े हो हो गए हैं।      
                                      mani naman✍️ अब हम बड़े हो गए हैं।
maninaman0391

mani naman

New Creator
streak icon1