मिट्टी के टुकडो की खातिर , तुम कितना लहू बहाओगे ,
मानव हो तुम मानव जग में , मानव कब कहलाओगे
जिसें मानते धरती माता , अब उसके लाल मिटाओगे
मिट्टी के टुकड़ो की खातिर....१
इतनी दौलत लेकर भी तुम , फिर तुम कितना चल पाओगे
राह नहीं है इतनी सीधी , तुम कदम कदम गश खाओगे
अपने प्राणों की फिर रक्षा , बोलो कैसे कर पाओगे #कविता#WritersSpecial