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त्रेता का एक -एक पात्र , कण -कण मर्यादा सिखलाता है

त्रेता का एक -एक पात्र ,
कण -कण मर्यादा सिखलाता है,
लखनलाल का धैर्य ,
त्याग,निश्छल -निस्वार्थ और सेवा भाव,
भाई -भाभी के प्रति समर्पण ,
माफ करना !
किन्तु 
मेरे लिए प्रभु श्री राम से भी श्रेष्ठ लक्ष्मण भईया नज़र आते है...!! जाग रहा यह कौन धनुर्धर
जब कि भुवन भर सोता है ?

ये पंक्तियाँ मैथिलीशरण गुप्त की रचना 'पंचवटी' से है। गुप्त जी ने यह लखनलाल के लिए लिखा है।

भुवन का अर्थ होता है संसार

यह कौन धनुर्धर है जो जग रहा है जबकि पूरा संसार सो रहा है ?
त्रेता का एक -एक पात्र ,
कण -कण मर्यादा सिखलाता है,
लखनलाल का धैर्य ,
त्याग,निश्छल -निस्वार्थ और सेवा भाव,
भाई -भाभी के प्रति समर्पण ,
माफ करना !
किन्तु 
मेरे लिए प्रभु श्री राम से भी श्रेष्ठ लक्ष्मण भईया नज़र आते है...!! जाग रहा यह कौन धनुर्धर
जब कि भुवन भर सोता है ?

ये पंक्तियाँ मैथिलीशरण गुप्त की रचना 'पंचवटी' से है। गुप्त जी ने यह लखनलाल के लिए लिखा है।

भुवन का अर्थ होता है संसार

यह कौन धनुर्धर है जो जग रहा है जबकि पूरा संसार सो रहा है ?

जाग रहा यह कौन धनुर्धर जब कि भुवन भर सोता है ? ये पंक्तियाँ मैथिलीशरण गुप्त की रचना 'पंचवटी' से है। गुप्त जी ने यह लखनलाल के लिए लिखा है। भुवन का अर्थ होता है संसार यह कौन धनुर्धर है जो जग रहा है जबकि पूरा संसार सो रहा है ? #विवाह #YourQuoteAndMine #हिंदी_साहित्य #लक्ष्मण #मैथिलीशरणगुप्त