क्या किसी आततायी की विनम्रता आदर का पात्र बन सकती है जो गेंदे क़े फूलों की पंखुड़ियां मसलने क़े बजाय उनका इस्तेमाल मंदिर क़े देवता क़े चरणों मे चढ़ाने क़े l. लिए करता हो क्या किसी अपराधी की विनम्रता आदर का पात्र बन सकती है जो अपने ही अपराधों और स्वयं द्वारा किये गए अन्यायों. क़े खिलाफ "न्याय " क़े सामने ख़ुशी ख़ुशी घुटने टेक देता हो ? ©Parasram Arora विनम्रता........