आज ज़ुल्फ़ ज़रा पुराने अंदाज़ में संवारलो मुस्कुराहट को थोड़ा बस होठों पर श्रृंगारलो क्यों ना एक -दूजे में भटक ले बनके पक्षी आवारा क्या पता यह मन मेघ फिर कब बरसें दोबारा देखों !आया इंद्रधनुष आसमान में स्वागत हार लिये सुप्रभात प्रिये ! आओ संग में चाय पिये।। ©Rajani Mundhra #rainy days