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हां मै संकुचित हूं, हां मैं स्त्री हूं... रिश्ते क

हां मै संकुचित हूं, हां मैं स्त्री हूं...
रिश्ते के मुखौटे में कई चहरो से मिली हूं....
विश्वास की डोर में सूली पे चढ़ी  हूं....
गैरो से क्या अपनो से भी ठगी हूं....
एक नही  स्त्री जगत की सिसक हूं...
हां विचारो से संकुचित हूं... हां मै स्त्री हूं...

©पूनम रावत
  #नारीशक्ति 
#नारीआत्मसम्मान 
#नारीवाद