आज इक रात फिर चुनी जाए और अंधेरों की भी सुनी जाए तू भी अपने की बोल दे मैं भी अपने की कहूँ आज बस दिल की बात की जाए सब हवाओं से आंधियाँ लेके सब फिजाओं से बिजलियां लेके उनको चाहत की शक्ल दी जाए कुछ तेरी देर बे-करार करे कुछ मेरा तू भी इंतजार करे जिंदगी गुजरती चली जाए #चाहत की शक्ल