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मैं बदनाम तुम्हारे नाम से इस जहां में हो चुकी हूं.

मैं बदनाम तुम्हारे नाम से इस जहां में हो चुकी हूं..

ऐसा क्या है तुम्हारी आंखों में, हे कृष्णा 
कि जब भी देखती हूं इनमें खो सी जाती हूं।

तुम भी तो खूब हो, न झपकाते अपनी पलकों को,
एक पल के लिए, इस आदत से तुम्हारी मैं मोह सी जाती है।

जिस तरह चाहती हूं मैं तुम्हें उम्रभर चाहती रहूं,
न फेरना कभी मुंह मुझसे, हे मेरे सांवले,
रखना ख्याल इतना, कि मैं तुम्हारे दिल को हमेशा भाहती रहूं।

अब तो जिंदगी के सारे दुख, दर्द, सुकून 
और जो भी इससे जुड़ी चीज़ें है,वो अब तुमसे जुड़ी हैं।

अब मैं बदनाम तुम्हारे नाम से इस जहां में हो चुकी हूं,
सबको पता है,दिन तो दिन रातों की नीदें भी मेरी तुम्हारे लिए उड़ी हैं।

इस कदर नशा तुम्हारे प्रेम का चढ़ गया है, हे मेरे ग्वाले
खुली आंखों से भी आज कल मैं सोह सी जाती हूं।

ऐसा क्या है तुम्हारी आंखों में, हे कृष्णा 
कि जब भी देखती हूं इनमें खो सी जाती हूं।

©Ravindra Singh
  मैं बदनाम तुम्हारे नाम से इस जहां में हो चुकी हूं..

ऐसा क्या है तुम्हारी आंखों में, हे कृष्णा 
कि जब भी देखती हूं इनमें खो सी जाती हूं।

तुम भी तो खूब हो, न झपकाते अपनी पलकों को,
एक पल के लिए, इस आदत से तुम्हारी मैं मोह सी जाती है।

मैं बदनाम तुम्हारे नाम से इस जहां में हो चुकी हूं.. ऐसा क्या है तुम्हारी आंखों में, हे कृष्णा कि जब भी देखती हूं इनमें खो सी जाती हूं। तुम भी तो खूब हो, न झपकाते अपनी पलकों को, एक पल के लिए, इस आदत से तुम्हारी मैं मोह सी जाती है। #Poetry

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