मेरे ख़्यालों की परवाह करती हो, ख्यालातों पर नहीं, मेरे हालातों पर ग़ौर फरमाती हो, मुलाकातों पर नहीं। जब से तुम्हें जाना है, बस यही तो करती आई हो, मेरे बातों पर गौर फरमाती हो, मेरे जज़्बातों पर नहीं। 🌝प्रतियोगिता-42 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷" मेरे ख़्याल"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I