#क्यों नहीं। बेशक है दिल उदास पर हम मुस्कुराते क्यों नहीं। बेशक है ज़िंदगी नाराज़ पर हम उसे मनाते क्यों नही। कोई हमको पसन्द नहीं, किसी को हम पसंद नहीं। जो चाहते है हम कभी होता वो नहीं कभी होता है वो जो चाहते हम नहीं। क्या मुश्किलें इतनी बड़ी है कि कोई समाधान ही नहीं। पटरी पर लौटने का कोई प्रावधान है नहीं। जो भी हुआ उसी का मज़ा हम उठाते क्यों नहीं। ज़िन्दगी को उसी के बहाव में हम बहाते क्यों नहीं जिंदगी के हर एक पल में हम मुस्कुराते क्यों नहीं। #क्यों नहीं