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अब जिंदगी में यादों का डरावना साया है , दुश्मनी तो

अब जिंदगी में यादों का डरावना साया है ,
दुश्मनी तो छोड़ो हमने दोस्ती में धोखा खाया है।
जिनको जरूरत थी हमारी उनके साथ खड़ा रहा मैं,
जब आई बारी मेरी तो खुद को अकेला पाया है।
इस अकेलेपन में जीने में अब मजा आता है,
ना कोई धोखा देता है ना किसी से रिश्ता निभाना पड़ता है।
खुश हूं अब बिना दोस्तों के मैं,
डूबती मेरी कश्ती को मैंने बिना तिनके के पार लगाया है।

©Prashant kumar
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