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ले वसंत मधु आ गया, हुआ मुखर मृदु प्रीत। हृदय रागिन

ले वसंत मधु आ गया, हुआ मुखर मृदु प्रीत।
हृदय रागिनी छेड़ती, मधुर मिलन के गीत।।


गीत राग के गा रहा, मादक भ्रमर वसंत।
प्रिया विरहिणी  सोचती,कब आयेंगे कंत।।


शीत चली गति मंद ले, चला शिशिर भी संग।
इठलातये  यौवन भार  से, आया वसंत ले रंग।


वसुधा ओढ़े  धूप   को, मुस्काये   ले ताप।
चार माह की त्रासदी, शीत उडी बन भाप।।


हरित चूनरी ओढ़ के, रंगीले जड़ तार।
पिय वसंत पहना रहे, पुष्प गुच्छ गल हार।।


कोयल राग सुना रही, मुखर नाचता मोर।
वायु आकुला बह रही,करे सन सन सन शोर।


पाती लिखती प्रियतमा, कहूँ पिया करजोर।
आ जाओ मधु मास में, द्रवित नयन के कोर।।


नहि इच्छा है हार की, नहि इच्छा श्रृंगार।
पिया चले आओ लिये , इस वसंत में प्यार।

©Sneh Lata Pandey 'sneh'
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