गाड़ी गाड़ी क्या आई हम पैदल चलना भूल गए इसके बिना तो घर से हम निकलना भूल गए घुटने जकड़ गए हैं दर्द से चेहरा पीला है बूढ़े हुए समय से पहले बदन जो ढीला है होता नहीं पसीना ठंढक इसके अंदर है देती है आराम मगर बीमारी का घर है बेखुद हवा से बातें करके खुश होतें हैं हम दुर्घटना जब हो जाती तब रोते हैं हम ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #गाड़ी