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"चराग़ बुझ गया, अंधेरा हो गया। रोशनी भी चली गई, छा

"चराग़ बुझ गया, अंधेरा हो गया।
रोशनी भी चली गई, छाया तो रह गया।।

अब कोई आफताब की जरूरत नहीं है, यहां पर।
जो आब था हिंदुस्तान में, वो जनाजा पर चला गया।।


जो आग थी दिल में मेरे परसो से, वो आज भी है।
सुबह तो देखें नहीं हमने, लेकिन हर वक्त सांझ की है।



ख़ुदा ने क्या लिख दी उस दिन की कहानी, मेरे इश्क में।
सब जल गया देखते- देखते उसकी नजर में, अब सिर्फ राख भी है।,,

लेखक/कवि- मनोज कुमार

©manoj kumar चराग़ बुझ गया.....। शेर

#SAD
"चराग़ बुझ गया, अंधेरा हो गया।
रोशनी भी चली गई, छाया तो रह गया।।

अब कोई आफताब की जरूरत नहीं है, यहां पर।
जो आब था हिंदुस्तान में, वो जनाजा पर चला गया।।


जो आग थी दिल में मेरे परसो से, वो आज भी है।
सुबह तो देखें नहीं हमने, लेकिन हर वक्त सांझ की है।



ख़ुदा ने क्या लिख दी उस दिन की कहानी, मेरे इश्क में।
सब जल गया देखते- देखते उसकी नजर में, अब सिर्फ राख भी है।,,

लेखक/कवि- मनोज कुमार

©manoj kumar चराग़ बुझ गया.....। शेर

#SAD
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