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manojkumar6486
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manoj kumar

मै एक लेखक हूं। मै सॉन्ग भी लिखता हूं।

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manoj kumar

शीर्षक-  सिर्फ मै और तुम..।


जैसे चांद के संग चांदनी, सांसों के सरगम।
जैसे मधुकर फूलों पर, बांसुरी होंठो पर।
वन में हिरन- हिरनी के साथ- साथ।
शीतल- सा पानी पत्थर पर बहता, बुझाता होंठो के प्यास।



जैसे धूप और छांव के मिलन, पतंग के साथ डोर।
जैसे शाम और सवेरा, दूल्हा- दुल्हन का फेरा।
तारो के रोशनी अम्बर पर, खिलता सुबह कमल।
किसी सौंदर्य स्त्री के आंखो में, गाढ़ा- सा कज्जल।


जैसे म्यान में तलवार चिपककर, सावन के झूला डाली पर।
जैसे खुशबू उड़ते फूलों के हवाओं में, नर्तकी नृत्य करती बहारों में।
बादल के साथ पानी, राजा- रानी के प्रेम कहानी।
सुहाना मौसम के दृश्य, गोरे बदन पर चुनर होती रवानी।


जैसे सुबह पत्ते पर ओस चिपकती है, गुनगुनाकर।
जैसे वन में बल्लरी पेड़ों पर चिपक जाती, शर्माकर।
मिलन होता है प्रेम रस के पूर्णिमा रातों में, गुमसुम होकर।
शर्माती है कली सुबह- सुबह किरणे देखकर।


जैसे दीया और बाती साथ- साथ, केश पर जूडा।
जैसे पांव में घुंघरू खनक की आवाज साथ रहकर।
बरसात की बूंदे गिर कर छिप ती जुल्फों पर, आसमां से गुजरती।
नयन मिले संयोग से, छिप- छिपकर वो देखती।


जैसे सागर किनारा उसपर बहता पानी, आहिस्ता- आहिस्ता।
जैसे नरमी हाथ में कंगन खनकता हुआ, मीठी आवाज में।
झूमते पेड़ के डाली उसपर बैठे तोता मैना, और उनकी कहानी।
वैसे ही मैं और तुम, और मेरे प्यार की तुम दीवानी।


लेखक/कवि- मनोज कुमार
 गोंडा जिला उत्तर प्रदेश
संपर्क सूत्र- 7905940410

©manoj kumar

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manoj kumar

शीर्षक- तुम कितनी अच्छी हो।

सुबह की किरणे कि जैसी तुम लगती हो।
वीणा की सुर कि तरह तुम कहती हो।
कमल के सौंदर्य की तरह तुम बाला।
गुलाबी आंखे है तुम्हारी,," तुम्हें जाम कहे या हाला।
कभी शरारत करती हो तुम मुझसे,," तो तुम लगती बच्ची हो।
तुम कितनी..................................।।


चंचल स्वभाव है तुम्हारा, घुंघराले बाल होठों पर।
संवारती उसे अपने हाथों से मुस्काकर।
कभी छन - छन पायल पांव में बजाती।
कभी मुखड़ा शर्माकर ओढ़नी से ढक लेती।
कभी छिप कर देखती हो तो, लगती कली से भी कच्ची हो।
तुम कितनी.......................।।


सरकती है तुम्हारी चुनर भू- धरा पर।
प्यार से उठाती उसे झुक- झुककर।
मधुकर भी आकर गूंजे तुम्हारे कानों में, तुमसे वो भी प्यार करें।
खूबसूरती की चाहत उनको भी है, वो हां हां भरे।
मनोज कुमार के तुम होकर रहोगी, उनके दिल से सच्ची हो।
तुम कितनी......................।।

©manoj kumar
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manoj kumar

me आईना हूं।

#BeautifulEyes

me आईना हूं। #BeautifulEyes

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manoj kumar

sad song।

सिला वो दे गए,
लौटकर न आए।
जल रहा दिल मेरा,
जो दूसरों के हो गए।
अब रोता बस, उनकी यादों में।
जो किए वादे, मुझसे हर बातों में।
कैसे भूलूंगा उसको मै, उसके बेवफ़ाई का...।
आज आंसू जो गिर रहे हैं, उसके जुदाई का।



उससे जो प्यार था,
क्यों नफरत किया मुझसे।
ज़ख्म जो दिल में है,
भरूं उसको, अब कैसे।
आज तन्हाइयां है।
कभी ऐसा न हुआ है।
हमें लगता है, सौदा हुआ इन बुराई का..।
आज आंसू...........।





मुझको तन्हा, क्यों छोड़ा उसने।
प्यार जो न करना था, क्यों किया उसने।
अगर हम जानते, प्यार न करते।
अकेला रहते तो, जुदा न होते।
आज जो जल रहे हैं, बस उसके लिए।
मै जो भूले आलम, बस उसके लिए।
जो गिरते हैं, मेरे आंसू ,हो गई है किसी शहनाई का..।
आज आंसू जो गिर रहे हैं, उसके जुदाई का।



लेखक/कवि- मनोज कुमार
उत्तर प्रदेश। गोंडा जिला।

©manoj kumar
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manoj kumar

कविता शीर्षक- जब- जब तेरी जुल्फ लहराती हैं।



जब- जब तेरी जुल्फ लहराती हैं।
मेरे शहर में बारिश होती हैं।
तुम जब मुस्काती है, बारिश घिरकर आती है।
तेरी चमक है आईना जैसी, साथ में जुगुनों की बरात लाती है।


काया गोर वर्ण  है तेरी, मीनाक्षी जैसी आंखें।
कोयल जैसी बोली तेरी, काले कावे भी देखें।
हिरनी की जैसी तू चलती, अंदाज तेरी निराली।
हम तुम्हें मधुशाला कहे या मदिरा का प्याली।



तुम कभी शर्माती है तो अच्छी लगती है।
सुबह के पुष्प खिले जो, उसके तू बच्ची लगती हैं।
होंठ कमल पंखुड़ी जैसी, लगती तू अच्छी है।
नूर हो तुम मेरे लिए, और दिल की सच्ची हैं।


नज़रों से तुम बान चलाती, थोड़ा मुस्काकर।
आसमां में तारे हैं जो, वो भी कहते खींच लो आकर।
जो घुंघराले केश है तेरे, और हुस्न तेरी आंदाए।
एक वर्षा के बारिश से, तेरे जुल्फों में समाए।



अति कामनीय है तू, कोमल बदन है तेरे।
बागों के फूलों के ख़ुशबू, तेरे सौंदर्य पर बहुतेरे।
मुड़कर क्यों नहीं तू देखती मुस्काकर।
मोती जैसे टपक रहे बूंदे बादल से, तेरे बदन पर।।



लेखक/कवि- मनोज कुमार
उत्तर प्रदेश गोंडा जिला।

©manoj kumar जब- जब तेरी जुल्फ लहराती हैं।

जब- जब तेरी जुल्फ लहराती हैं। #कविता

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manoj kumar

I regret कविता शीर्षक- मुझे प्यार करना उसने सिखा दिया।


मुझे प्यार करना उसने सिखा दिया।
दौलत की चाह में, अपनी आंखो के सूरमा बना लिया।
हम निकल नहीं पाए, प्रेम के महा जाल में।
जला कर ख़ाक कर दिया मुझे, नया साल में।


पहले मीठी शब्दों में मुझे फुसलाया अपनी बातों में।
फिर प्यार किया हमसे और कत्ल कर दिया, मेरे प्यार को रातों में।
नहीं समझ सके हम, उनकी मजबूरी को कुछ सोचकर।
हम अच्छे जानकार उसे कुछ दिन बातें किए मुस्काकर।



फिर क्या हुआ, मेरे साथ धोखा हुआ वफाओं के मोड़ पर।
अलग हो गई मुझसे हम दे न सके दौलत, वो चली गई मुंह मोड़ कर।
गुमनाम था उसका, चेहरा मासूम था मेरे नजर से।
ऐसा वफा करेगी मुझसे, मै कभी सोचा न था उनकी नज़र से।



हम राह देखें उनकी जमीं और आसमां से पूछे उसके बारे में।
वो कुछ नज़र नहीं आई उनको भी, मेरे गमों के किनारों में।
मै काफी दिनों तक सोचता रहा, क्यूं की मुझसे बेवफ़ाई।
अगर जुदा ही होना था हम दोनों के बीच में, क्यों बनी हरजाई।



अब मन कमजोर हुआ मेरा, सूखी टहनी की तरह।
कोई इजाजत नहीं है उसे अपनाने को दिल से मुझे, लैला मजनू की तरह।
हम प्यासे थे उसके प्यार की धारा में, प्यार कम जहर ज्यादा मिला।
जो ख्वाब देखते थे कभी- कभी किसी बारे में, वो मिली तो दे गई सिला।।



लेखक/कवि- मनोज कुमार
उत्तर प्रदेश गोंडा जिला।

©manoj kumar sad potry,I regret

#CTL

sad potry,I regret #CTL #कविता

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manoj kumar

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manoj kumar

"चराग़ बुझ गया, अंधेरा हो गया।
रोशनी भी चली गई, छाया तो रह गया।।

अब कोई आफताब की जरूरत नहीं है, यहां पर।
जो आब था हिंदुस्तान में, वो जनाजा पर चला गया।।


जो आग थी दिल में मेरे परसो से, वो आज भी है।
सुबह तो देखें नहीं हमने, लेकिन हर वक्त सांझ की है।



ख़ुदा ने क्या लिख दी उस दिन की कहानी, मेरे इश्क में।
सब जल गया देखते- देखते उसकी नजर में, अब सिर्फ राख भी है।,,

लेखक/कवि- मनोज कुमार

©manoj kumar चराग़ बुझ गया.....। शेर

#SAD

चराग़ बुझ गया.....। शेर #SAD #शायरी

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manoj kumar

शेर

आरज़ू है मेरी, तुम दिल में रहना।
आंखो से अश्क बहाकर मत जाना।।
तुमसे इश्क़ हुआ है इतिफाक से।
दिखा कर चेहरा , रूठकर मत जाना।।



तुम गैर हो जाना अलग बात है।
मुझसे खफा हो कर, उसके पास जाना अलग बात है।।
रोता होगा वो आशिक़ तुम्हारे लिए।
उसको तड़पा कर, मुंह मोड़ कर, चले जाना अलग बात है।।


दिखा कर ख्वाब तड़पाता नहीं कोई।
प्यार करके ठुकराता नहीं कोई।।
नहीं करती तो तोड़ा सुकून तो मिलता दिल पर।
कुछ दिन मिल कर, अलविदा कह कर जाता नहीं कोई।।


लेखक/कवि- मनोज कुमार

©manoj kumar आरज़ू है मेरी...। शेर

#Love

आरज़ू है मेरी...। शेर #Love #शायरी

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manoj kumar

शेर

मै वो गुलाब नहीं, जो तोड़ कर आंचल में रख लोगी।
थोड़ा कांटे है इनमें जनाब, मुस्कुराओ गी और रो लोगी।।
इतना जज़्ब  न हो तुम हमें देखकर, प्यार के चौराहे पर।
मै कोई आवारा बाग के फूल नहीं, जो बिना पूछे ही छीन लोगी।।


लेखक/कवि- मनोज कुमार

©manoj kumar
  शेर
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