नहीं करती मैं श्रृंगार नहीं भाता मुझे फूल हार नैनों के काजल फैल नीर संग पीर दिल की कह जाते हैं व्यथा मन की मेरे पूरे जग को सुनाते हैं। (पूरी कविता अनुशीर्षक में) #श्रृंगार #पीर #yqdidi #500 नहीं करती मैं श्रृंगार नहीं भाता मुझे फूल हार नैनों के काजल फैल नीर संग पीर दिल की कह जाते हैं