जला दिल तो चिराग था बुझा दिल हुआ खाक था दुनिया की ज़िंदगी में मै युं बनता रहा बिगड़ता रहा बन गया तो गुलाम था जो बिगड़ गया तो इंसान था आशिकी की सजा काटते अब जा रहे इसे छोड़ के ये जिस्म ही कारागार था मेरा साया ही गुनहगार था जलता हुआ शोला ए दिल लहक गया बहक गया तेरे दर्द का ये बयार था या इश्क़ का ये खुमार था ©® फिरोज़ खान अल्फ़ाज़ नागपुर प्रोपर औरंगाबाद बिहार स0स0-9231/2017 जला दिल तो चिराग था बुझा दिल हुआ खाक था दुनिया की ज़िंदगी में मै युं बनता रहा बिगड़ता रहा बन गया तो गुलाम था जो बिगड़ गया तो इंसान था आशिकी की सजा काटते अब जा रहे इसे छोड़ के ये जिस्म ही कारागार था मेरा साया ही गुनहगार था जलता हुआ शोला ए दिल लहक गया बहक गया