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तुम हृदय की वेदना से झंकृत कर दो ये वीना। बीते सार

तुम हृदय की वेदना से झंकृत कर दो ये वीना।
बीते सारे सुख के मौसम,आ गया दुख का महीना।।
जिस गति से चढ़ गया था, उस गति से लौट आया।
ज्वार ये कैसा है निर्भय,नहीं है सर्दी,नहीं  पसीना।।

©निर्भय चौहान
  Yogendra Nath Yogi POONAM GUPTA Dhyaan mira Rakhee ki kalam se  Mukesh Poonia  Yogendra Nath Yogi POONAM GUPTA Dhyaan mira Rakhee ki kalam se  Mukesh Poonia