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कन्ची खेलने के बाद हाथ में लगने वाली माटी सा मैं क

कन्ची खेलने के बाद हाथ में लगने वाली माटी सा मैं
कन्ची जीतने की वो ख़ुशी हो तुम, 

पतंग कट जाने का गम सा हूँ मैं
पतंग लूटने की ख़ुशी सी हो तुम, 

तिल का सा कड़वा मैं
तुम गुड सी मीठी हो,
 
तुम चाहो तो गजक  से बन जाए हम
इस संक्रांति फिर से एक हो जाए हम।

©Akhil Sharma
  14th January, मकर सक्रांति
akhilsharma1428

Akhil Sharma

New Creator

14th January, मकर सक्रांति #शायरी

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