पर्वत गलतफहमी में जी रहा था अपनी उचाई को लेकर, सागर खुशफहमी पाल रखे थे उसकी गहराई को लेकर; चांद, सितारे सबको मानकर अपना आसमां ने दिया जगह, खुश है ओढ़ने के लिए सबको दिया हुआ रजाई को लेकर। ✍️फरहाना #NojotoHindi#shayari#khushfahmi#night#asman#gahrai