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भीतर का रूदन... भीतर की घुटन भला कैसे जाने

भीतर  का  रूदन... भीतर  की   घुटन 
भला  कैसे  जाने  कोई  बाहर वाला 
ह्रदय की पीड़ा    ह्रदय का  शूल 
कितना  कंटीला  हैँ भला कैसे जाने कोई  बाहरवाला 
हंसी ख़ुशी  का ये  आवरण  सिर्फ  बाहर  की  लीला हैँ...... कहा  कहा   कितना  समझौता हैँ 
भला  कैसे जाने कोई बाहर वाला 
विपदाए  और  विवषताए  मन की  कितनी  वज़नी हैँ ...   चित्त  की  काली  घटाए  बरसने  को ख़डी हैँ......... अंधेरा  हैँ   आँधिया हैँ  अंधड़ हैँ.. और  सबसे   बड़ा 
भीतर  का  अंधापन  हैँ 
भला  कैसे जाने  कोई  बाहर वाला भला कैसे  जाने  कोई बाहर  वाला
भीतर  का  रूदन... भीतर  की   घुटन 
भला  कैसे  जाने  कोई  बाहर वाला 
ह्रदय की पीड़ा    ह्रदय का  शूल 
कितना  कंटीला  हैँ भला कैसे जाने कोई  बाहरवाला 
हंसी ख़ुशी  का ये  आवरण  सिर्फ  बाहर  की  लीला हैँ...... कहा  कहा   कितना  समझौता हैँ 
भला  कैसे जाने कोई बाहर वाला 
विपदाए  और  विवषताए  मन की  कितनी  वज़नी हैँ ...   चित्त  की  काली  घटाए  बरसने  को ख़डी हैँ......... अंधेरा  हैँ   आँधिया हैँ  अंधड़ हैँ.. और  सबसे   बड़ा 
भीतर  का  अंधापन  हैँ 
भला  कैसे जाने  कोई  बाहर वाला भला कैसे  जाने  कोई बाहर  वाला