White जब दर्द बंट रहा था, तो ईश्वर ने मेरे हिस्से में सबसे गहरे ज़ख्म रख दिए। शायद उसे लगता था कि मैं मजबूत हूँ, कि सह लूंगा, पर आज मैं कहना चाहता हूँ — नहीं, मैं टूट रहा हूँ। हर घाव की गहराई मेरे भीतर की धड़कनों को मंद कर रही है। मैं वो पत्थर नहीं, जो हर चोट पर मजबूत होता जाए, मैं एक इंसान हूँ, कमजोर और थका हुआ, जो दर्द का बोझ अपने कंधों पर अब और नहीं उठा सकता। ईश्वर, अगर ये परीक्षा है, तो मैं हार मानता हूँ, मुझे मेरे हिस्से की तकलीफ़ों से रिहाई दे, कि इस दिल की दीवारें अब ढहने लगी हैं। ©Pyare ji #good_night M.K.kanaujiya