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मैंने भी कहां बहने दिया, उस स्वच्छं

मैंने भी कहां बहने दिया,              
 उस स्वच्छंद निश्छल सरल प्रेम को 
अपने उद्गम गीत तक.............    

बांधने के प्रयत्न में,
        केवल अपने निमित्त तक,
        अपने हित तक............ 

प्रयत्नो में प्रयत्न और प्रयत्न और प्रयत्न, 
 प्रेम के शाश्वत भाव के विपरीत तक........ 

कहते हैं प्रेम में स्वार्थ नही होता,                                           
यदि हां,                                                                            
तो सत्य है मेरा प्रेम स्वार्थ में विलीन हो गया,                           
 जो उसके होने से संबंध न रखकर उसे पाने में लीन हो गया....... 

कितना विवश पाती हूं स्वयं को, उसे अपने समक्ष विवश देखकर, 
वो यह तो न था, मैं भी यह नही, 
ऐसा कैसा प्रेम किया मैने,          
                   जो आत्मग्लानि से और पश्चाताप में जल रही हूँ
 पिघल रही हूँ..........
              उसकी तान को, उसके गीत को स्वयं के लय कर लिया, 
प्रेम को मोह में विलय कर लिया................
विजय तो पायी हैं, पर अब भी तृप्ति की खोज हैं, 
और यह खोज अंत नही पाएगा, मोह से ग्रसित हैं,               
प्यास, लालसा, अतृप्ति अनंत पाया हैं अनंत पाएगा..........

@पुष्पवृतियां

©Pushpvritiya #My_apology_letter
मैंने भी कहां बहने दिया,              
 उस स्वच्छंद निश्छल सरल प्रेम को 
अपने उद्गम गीत तक.............    

बांधने के प्रयत्न में,
        केवल अपने निमित्त तक,
        अपने हित तक............ 

प्रयत्नो में प्रयत्न और प्रयत्न और प्रयत्न, 
 प्रेम के शाश्वत भाव के विपरीत तक........ 

कहते हैं प्रेम में स्वार्थ नही होता,                                           
यदि हां,                                                                            
तो सत्य है मेरा प्रेम स्वार्थ में विलीन हो गया,                           
 जो उसके होने से संबंध न रखकर उसे पाने में लीन हो गया....... 

कितना विवश पाती हूं स्वयं को, उसे अपने समक्ष विवश देखकर, 
वो यह तो न था, मैं भी यह नही, 
ऐसा कैसा प्रेम किया मैने,          
                   जो आत्मग्लानि से और पश्चाताप में जल रही हूँ
 पिघल रही हूँ..........
              उसकी तान को, उसके गीत को स्वयं के लय कर लिया, 
प्रेम को मोह में विलय कर लिया................
विजय तो पायी हैं, पर अब भी तृप्ति की खोज हैं, 
और यह खोज अंत नही पाएगा, मोह से ग्रसित हैं,               
प्यास, लालसा, अतृप्ति अनंत पाया हैं अनंत पाएगा..........

@पुष्पवृतियां

©Pushpvritiya #My_apology_letter
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