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pushpad8829
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Pushpvritiya

india

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Pushpvritiya

सूखी रही विरान आँखें,
ज़खम भरता नही तो क्या करें अब.......!!
@पुष्पवृतियां








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©Pushpvritiya
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Pushpvritiya

यूं हर बात पर 
बे-बात 
जताया नही करते.....
और सुनो 
ये लफ्ज़ कीमती बहुत हैं,
यूं हर किसी पे हम इसे ज़ाया नही करते.............

@पुष्पवृतियां






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©Pushpvritiya
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Pushpvritiya

हर रोज़ इक जागता स्वप्न 
स्वांस लेता है हृदय में.....
सोचता है कि 
वो सोचता होगा मुझे मेरी तरह ही
मीलो दूर से कहीं....

कि एकांत उसका भी 
मुझसे ही बातें कर रहा होगा......
ढूंढती होगी 
नज़र उसकी मुझे 
हर शय में....
करता होगा महसूस मुझे भी वो टूटकर 
मेरी तरह ही.....

और बिखरकर मुझमें 
समेटता होगा संपूर्ण तक मुझे........
कि अंश अंश तक मेरा 
समाहित कर रहा होगा 
निज में......
थक रहा होगा...संभल रहा होगा... 
कि पीकर प्रेम को 
वो चल रहा होगा
अपने पथ...मुझे लेकर....
मेरी तरह हीं...

कि हर रोज़ इक जागता स्वप्न 
स्वांस लेता है हृदय में.......

@पुष्पवृतियाँ





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©Pushpvritiya #मेरीतरहहीं 
हर रोज़ इक जागता स्वप्न 
स्वांस लेता है हृदय में.....
सोचता है कि 
वो सोचता होगा मुझे मेरी तरह 
मीलो दूर से कहीं....

कि एकांत उसका भी

#मेरीतरहहीं हर रोज़ इक जागता स्वप्न स्वांस लेता है हृदय में..... सोचता है कि वो सोचता होगा मुझे मेरी तरह मीलो दूर से कहीं.... कि एकांत उसका भी

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Pushpvritiya

मेरी सब्र को फिर ठिकाना मिला....!
वो मिले...मुस्कुराए...बहाना मिला........!!
                   @पुष्पवृतियाँ

©Pushpvritiya
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Pushpvritiya

अमोलक सी इन पुस्तकों का मोल 
क्या हीं कर सकेंगे ये लेवल्ड प्राइस........
वर्षो का मौन, 
प्रतिक्षा,अकथित अनुभव,संघर्ष, 
परिवर्तन, प्रतिरूपण, 
और न जाने कितने ही 
भावो-अनुभावों का अंकन.......
यह कभी बिकने के लिए नही निकलती,
ये निकलती है डायरी के पृष्ठों से उस माध्यम तक....
ताकि पढ़े इसकी अनुभूतियां 
कोई..पहुंच सके 
किसी के हृदय तक......बस वही एक 
इच्छा लिए चल पड़ती है अपनी यात्रा पर 😊🙏🏻
                                  @पुष्पवृतियां

©Pushpvritiya
  #Books
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Pushpvritiya


1.
भाव श्रद्धा भक्ति अर्पित, आपको है राम जी |
हो सदा सुमिरन तुम्हारा, और क्या है काम जी ||
द्वार तेरे आ गई हूँ, आसरा तेरा लिए |
क्या करूँ संसार का मै,साथ तेरा चाहिए ||
2.
विघ्न बाधा मार्ग जो हो, विघ्न बाधा टालिए |
जन्मदाता आप ही हो,जन्म को संभालिए||
हो प्रभा अँगना तुम्हारे, साँझ तेरे दर ढले |
लो शरण अपनी प्रभो जी, पंथ तेरा धर चले  ||

पुष्पा 'प्रहिदी' 🙏🏻🙏🏻







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©Pushpvritiya
  #जयश्रीराम
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Pushpvritiya

 बातें अधूरी भी रह जाएं तो क्या......!
 तू 
 मुझमें 
 पूरा 
 हमेशा रहेगा.......!!
                      @पुष्पवृतियाँ











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©Pushpvritiya
  #अधूरापन
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Pushpvritiya



अश्रु सुनियो धीरज धरना,
प्रेम कठिन पर पार उतरना |
पग-पग काँटें हैं यह माना,
मेल विरह का ताना-बाना ||

हर ले मन की दुविधा सारी,
आशा ज्योत जलाकर न्यारी |
बाँधी है जब नेहा ऐसी ,
भय शंका तब बोलो कैसी ||

@पुष्पवृतियाँ





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©Pushpvritiya
  #चौपाई


अश्रु सुनियो धीरज धरना,
प्रेम कठिन पर पार उतरना |
पग-पग काँटें हैं यह माना,
मेल विरह का ताना-बाना ||

#चौपाई अश्रु सुनियो धीरज धरना, प्रेम कठिन पर पार उतरना | पग-पग काँटें हैं यह माना, मेल विरह का ताना-बाना || #कविता

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Pushpvritiya


हिय की मारी सोच अकिंचन,
पिय जी झूठ बँधाय गयो मन.....!!
               @पुष्पवृतियाँ

©Pushpvritiya
  #चौपाई
वैरागी मन तुम बिन प्रीतम,
पीर न जाने किन् विध् हो कम...!
कस्तूरी मृग बन कर साजन,
तोहे ढूँढ़े भटके वन वन......!!

विरहिन देह जलन जागे है,
अग्नि सरीखा जल लागे है.....!

#चौपाई वैरागी मन तुम बिन प्रीतम, पीर न जाने किन् विध् हो कम...! कस्तूरी मृग बन कर साजन, तोहे ढूँढ़े भटके वन वन......!! विरहिन देह जलन जागे है, अग्नि सरीखा जल लागे है.....! #कविता

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Pushpvritiya

कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको,
कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......!
सुनो गर जनम दोबारा हो,
मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!!

चाहूँगी मैं जड़ में जाकर 
जड़ से तुमको सींचना..
मन वचन धरण 
नव अवतरण 
सब अपने भीतर भींचना.....

रक्तिम सा भ्रुण बन कर तुम सम,
भ्रुण भ्रुण में अंतर परखूँगी..!
मेल असंभव क्यूँ हम तुम का,
इस पर उत्तर रखूँगी....!!

पुछूँगी कि किए कहाँ
वो भाव श्राद्ध 
कोमल कसीज,
खोजूँगी मैं वहाँ जहाँ 
बोया गया था दंभ बीज...
उस नर्म धरा को पाछूँगी,
मैं नमी का कारण जाचूँगी.......!!

मैं ढूंढूँगी 
वो वक्ष जहाँ,
स्त्रीत्व दबाया है निज का,
वो नेत्र जहाँ 
जलधि समान अश्रु छुपाया है निज का....!
प्रकृत विद्रोह तना होगा,
जब पुत्र पुरुष बना होगा.....

मैं तुममें सेंध लगाकर हाँ, 
कोमलताएं तलाशूँगी,
उन कारणों से जुझूँगी....
मैं तुमको जीना चाहूँगी......!!

अनुभूत करूँ तुमसा स्वामित्व,
श्रेयस जो तुमने ढोया है...
और यूँ पुरुष को होने में 
कितने तक निज को खोया.....!
कदम कठिन रुक 
चलते चलते 
कित् जाकर आसान हुआ,
हृदय तुम्हारा पुरुष भार से 
किस हद तक पाषाण हुआ.....!!

मैं तुममें अंगीकार हो,
नवसृज होकर आऊँगी,
मैं तुमको जीना चाहूँगी........
फिर तुमसे मिलन निबाहूँगी........!!
@पुष्पवृतियाँ

©Pushpvritiya
  कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको,
कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......!
सुनो गर जनम दोबारा हो,
मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!!

चाहूँगी मैं जड़ में जाकर 
जड़ से तुमको सींचना..
मन वचन धरण

कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको, कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......! सुनो गर जनम दोबारा हो, मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!! चाहूँगी मैं जड़ में जाकर जड़ से तुमको सींचना.. मन वचन धरण #कविता

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