#चौपाई
अश्रु सुनियो धीरज धरना,
प्रेम कठिन पर पार उतरना |
पग-पग काँटें हैं यह माना,
मेल विरह का ताना-बाना ||
#कविता
Pushpvritiya
#चौपाई
वैरागी मन तुम बिन प्रीतम,
पीर न जाने किन् विध् हो कम...!
कस्तूरी मृग बन कर साजन,
तोहे ढूँढ़े भटके वन वन......!!
विरहिन देह जलन जागे है,
अग्नि सरीखा जल लागे है.....! #कविता
Pushpvritiya
कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको,
कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......!
सुनो गर जनम दोबारा हो,
मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!!
चाहूँगी मैं जड़ में जाकर
जड़ से तुमको सींचना..
मन वचन धरण #कविता