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इंसाफ की उम्मीद में भटके हैं चारो ओर मुसींफ के पद

इंसाफ की उम्मीद में भटके हैं चारो ओर
मुसींफ के पद पे बैठे है बेईमान और चोर

बेकस, गरीब, बूढे़ ,बच्चे और नौजवान
कैसे बताऊं कितनो की उम्मीदें हुई हैं चुर

इंसाफ अंधा है तो तुझे मुंसीफ क्या हुआ
 दिखते नहीं ये आंसू,या सुनते नहीं हो शोर

इंसाफ करना अगर तेरे बस में नहीं रहा
फिर छोड़ क्यों नहीं देते कुर्सी मेरे हुजूर

ये पैसे गरीबों के हैं जो तुझको मिल रहे
है ये इंसाफ का तकाजा दे दो इन्हें अजोर

गर इनको दे न पाओगे इंसाफ तुम ज़रा
आह! इंसाफ तेरा कैसे,क्योंकर करें खुदा

©Qamar Abbas
  #इंसाफनहींहै