जब-जब तैयारी की बारिशें जोर-जोर से बरसती हैं, मेरी और सर जी की निगाहें, पंडित जी को देखने के लिए तरसती हैं। मैंने कहा-थोड़ा कमरे से बाहर निकल जाया करिये, पंडित जी का जवाब-"ज्यादा मत समझाया करिये"। मैंने कहा-अरे पंडितजी! हमारी कहाँ अवकात ,कि आपको समझा सकें, सिर्फ इतनी सी इच्छा कि हर रोज, छोटी सी मुलाकात कर सकें। आपके आदर्श हमें सदा याद आएंगे, और इन्ही आदर्शों पर चलकर हम अपना मार्ग ढूंढ पाएंगे। ईश्वर करें आप उन उपलब्धियों को प्राप्त करें, जिसे पाने के लिए लोगों की निगाहें तरसती हैं। #NojotoQuote for panditji