#Pehlealfaaz ये चहरा नहीं मुखौटा हैँ औऱ ये आँसू किसी घड़ियाल की दिलाता हैँ जीवन मे कभी सुख तो कभी दुख भी हैँ एक ही छत के नीचे कही धूप कही छाया हैँ बाहर प्रकाश किन्तु भीतर अंधेरा हैँ ज्ञान परिधि पर ठिठका हुआ किन्तु केंद्र पर अज्ञान पसरा हुआ हैँ जो सो रहा हैँ वो जाग भी सकता हैँ बशर्ते सपनो की निर्मल भ्रान्ति उसे गुमराह न करे बहकी हुईं गजल.....