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दया किन्हौं हे मां शिवशक्ति अतुलित रहे हमारी भक्ति

दया किन्हौं हे मां शिवशक्ति
अतुलित रहे हमारी भक्ति,
दरस परस की अरज है किन्हां
रूप दिखाई हरष मोहि दिन्हां।
शिव की शक्ति तुमहीं हो माता
मांगे तुमसे पर शिव से पाता,
संकट हम सबकी हरो नीलकंठा
दूर करो अब हमारी कुंठा।
हे जगजननी जग की महरानी!
साथ रहो जगदम्बा भवानी,
हे शिव शम्भू शव के आधारा
मोहि करो इस भव से पारा।
प्रेम सृजित कर उसे फैलाया
तुम दोनों ने ही राह दिखाया,
प्रेम प्रबल है अतुलित माया
प्रेम पड़े जब पुलकित काया।
प्रेम की शिक्षा तुमसे पाया
प्रेम सकल है तुमने सिखाया,
प्रेम के पक्ष-विपक्ष को बताया
प्रेम की महिमा मन में लाया।
हे मां! मेरो मन बहुत अधीरा
तू मालिक मैं एक फकीरा,
खेती भक्ति की करूं महाकाल
दरस के अरज कि ओढूं शाल। 
प्रेम बनाया उसे चलाओ
सही हो जो वह राह दिखाओ,
मन की दुविधा से निजात दिलाओ
मेरे मन माहीं प्रेम उपजाओ।
ख़ुद के रिश्ते-सा पवित्र बनाओ
मार्गदर्शन की आग जलाओ,
प्रेम प्रतीक्षा मुझे सिखाओ
करना क्या है ये मुझे बताओ। 
अर्धांगिनी अर्धनारी की क्षमता अपरंपार है
शिवशक्ति के रिश्ते की महिमा बहुत अपार है।

©Deep Kushin #शिवशक्ति #स्तुति #प्रेम #रिश्ता #पवित्रता
दया किन्हौं हे मां शिवशक्ति
अतुलित रहे हमारी भक्ति,
दरस परस की अरज है किन्हां
रूप दिखाई हरष मोहि दिन्हां।
शिव की शक्ति तुमहीं हो माता
मांगे तुमसे पर शिव से पाता,
संकट हम सबकी हरो नीलकंठा
दूर करो अब हमारी कुंठा।
हे जगजननी जग की महरानी!
साथ रहो जगदम्बा भवानी,
हे शिव शम्भू शव के आधारा
मोहि करो इस भव से पारा।
प्रेम सृजित कर उसे फैलाया
तुम दोनों ने ही राह दिखाया,
प्रेम प्रबल है अतुलित माया
प्रेम पड़े जब पुलकित काया।
प्रेम की शिक्षा तुमसे पाया
प्रेम सकल है तुमने सिखाया,
प्रेम के पक्ष-विपक्ष को बताया
प्रेम की महिमा मन में लाया।
हे मां! मेरो मन बहुत अधीरा
तू मालिक मैं एक फकीरा,
खेती भक्ति की करूं महाकाल
दरस के अरज कि ओढूं शाल। 
प्रेम बनाया उसे चलाओ
सही हो जो वह राह दिखाओ,
मन की दुविधा से निजात दिलाओ
मेरे मन माहीं प्रेम उपजाओ।
ख़ुद के रिश्ते-सा पवित्र बनाओ
मार्गदर्शन की आग जलाओ,
प्रेम प्रतीक्षा मुझे सिखाओ
करना क्या है ये मुझे बताओ। 
अर्धांगिनी अर्धनारी की क्षमता अपरंपार है
शिवशक्ति के रिश्ते की महिमा बहुत अपार है।

©Deep Kushin #शिवशक्ति #स्तुति #प्रेम #रिश्ता #पवित्रता