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चाहे दूरी मीलों की हों एहसास नहीं मर पता है रिश्त

चाहे दूरी मीलों की हों 
एहसास नहीं मर पता है
रिश्ता भाई भाई का 
हर रोज़ जवां हो जाता है
सुख दुख में हरदम साथ 
जो निभाता जाता है
चाहे समय हो वनवास का 
लक्ष्मण साथ निभाता है

चाहे 14 वर्ष काटे भी हों 
अग्रज ने फिर किसी उपवन में
है भरत के जैसा अनुज वही 
जो ज्येष्ठ की जगह बैठा नहीं

राह निहारें नैन फिर उसके
14 वर्ष फिर सूना रखा ललाट
भाई भी हो तो भरत सराही
किया चरण पादुका रख राजपाट
#प्रशांत शर्मा #Bhai ka rishta
चाहे दूरी मीलों की हों 
एहसास नहीं मर पता है
रिश्ता भाई भाई का 
हर रोज़ जवां हो जाता है
सुख दुख में हरदम साथ 
जो निभाता जाता है
चाहे समय हो वनवास का 
लक्ष्मण साथ निभाता है

चाहे 14 वर्ष काटे भी हों 
अग्रज ने फिर किसी उपवन में
है भरत के जैसा अनुज वही 
जो ज्येष्ठ की जगह बैठा नहीं

राह निहारें नैन फिर उसके
14 वर्ष फिर सूना रखा ललाट
भाई भी हो तो भरत सराही
किया चरण पादुका रख राजपाट
#प्रशांत शर्मा #Bhai ka rishta