दिवंगत हो चुके घर क़े अनुरागी बुजुर्ग देह छोड़ देने क़े बावजूद अपने परिवार को दुलार देने हेतु धरा पर उतरते हैँ ये बात अलग है क़ि उनका निराकार रूप हमें दिखता नहीं लेकिन हमारे हौसले उन्ही क़े आशीष क़े दूरगामी परिंणाम हो तेहैँ और हमारे उलझन और विचलित दिनों मे हमें सही राहें भी उन्ही की दिव्य दृष्टि की सममोहक ऊर्जा का सुखद परिणाम प्राप्त होताहै ©Parasram Arora दिवंगत अनुरागी बुजुर्ग.......