White कुछ इस तरह से जुदा अंदाज हो गये खता जिनकी थी वही नाराज हो गये... ये रिश्ते दिलों के निभा लेना साहिब वो लहु के रिश्ते तो दगाबाज हो गये.. कितना खुलेगा गुल-बदन तुम्हारा बेआबरू जो शर्म-ओ-लिहाज़ हो गये ए आवाम तेरी चूक का अंजाम ये हुआ बे-इमानों के सर पर ताज हो गये.. जिनकी तकदीर ख़ुद ख़ुदा लिख गया वो शख्स मोहब्बत में आबाद हो गये.. बेबसी थी कि उसे दम तोड़ना पड़ा जो आदमी से मँहगे इलाज हो गये.. बँट रही ज़र जमीं ख़ुशी ख़ुशी घर की माँ को बाँटते ही एतराज हो गये.. ============================= ©अज्ञात #ग़ज़ल