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जीवन के कुछ स्मरणीय पल परम सखा, श्री मुकेश जी सिगा

जीवन के कुछ स्मरणीय पल परम सखा,
श्री मुकेश जी सिगारियाँजी 
््शीर्षक ््
संग़ाम साथी
सादर वन्दे,
प्रिय मित्र मित्रता संवादो से जिस मुकाम पर पहुंची है।जो जीवन की खट्टी मीठी यादों के लिए स्मरणीय पलो में से एक है।आपके साथ बीते दस माह में निश्चय ही कुछ अपनी विशेष ताऐ लिए दिलो में कुछ झलकियो के रुप में अपने विचारों में व्दंद रखती है। अपने विचारों की असमानता और अनुभव के ख्यालों में निश्चय ही कही विरोधाभास रहा होगा।
,, मतभेद होना चाहिए लेकिन मनकाभेद नहीं होना चाहिए।,,
हमने आपको समझा आपके संघर्ष को एक दिशा मानकर जिस जूझारुपन से अपनो से लडना किसी मन में वो कान्ति से कम नहीं जो मन में शोलो की गर्जना सुनकर अपने को कहीं किसी ओर दिशा में मन को बहलाकर इस पूरजौर कोशिश में जो समय मां चामुण्डा देवी की नगरी में देवास की भगवती सराय में जो भी शरणागत आता है वो भाग्य के साथ राजा भर्तृहरि की नगरी में पुनः स्थापित हो जाता है वो मां का आशीर्वाद ही मुझे भावुक बना दिया है।
दिल में प्रेम के बीज डाल कर इन्सान को भगवान बना दिया गया है।
लेकिन दिल का हाल दिल ही जाने जिस तंरग में वो धडकने चले वो हाल वो वाकयात उस समय घड़ी पल की सही बुनियाद होती है। लेकिन भटकाव उत्तेजना मन की अशांति दिशाहीन कर देती है। मैं विधार्थी हूं जीवन से कुछ सीखना चाहता हूं शायद आपकी बातों का स्मरण कही किसी के अच्छे कार्यो में किसी का सहायक बन सके।
ऐसैं विचार मैं रखता हूं,, क्योंकि कमल कीचड में ही खिलता है लेकिन उसकी सुन्दरता कभी औझल नहीं होती है।,,
तुम्हें इतनी खुशियां मिले वक्त का फासला जो कम हो जायजहा भी रहो हौसला बुलन्दियो पर रहे। जिन्होंने वो सोचा नहीं था। वो इन्सान की पहचान कर नहीं सकते।,,
जहां स्वार्थ का घरौंदा हो 
वहां तबाही का मंन्जर देखा जा सकता है।,,
कुछ करे ऐसा जो मन के भाव से तुम अपनी यादों में बस जाय।बीता कल आज के सुनहरे पलों में गुजर जाय।

कुछ इन पंक्तियों के साथ
तुम हमें कुछ भी समझो,
हम तुम्हें अपना समझते है।
विचार तुम्हारे जो भी हो,
दिल से बडे प्यारे लगते हो।
मिले थे हम कभी साथ तुम्हारे,
जो भूल ना सके कभी।
कुछ कर दिया ऐसा जो,
किसी से दूर ना हो सके।
वो नाम तेरा मुकेश,
जो कभी संगीत की लहरों में गुंजता रहा।
दिलों में सपना था,मेरा, जो कर्म करो ऐसा।
जो लोग तुम्हें याद करे।
देवो का वास में वो नाम हो तेरा।
जो कर्मभूमि रही हो तुम्हारी,
उन साथियों का कल्याण हो।
ऐसी कामना करता हूं।
्््््््
कवि शैलेंद्र आनंद
9,,6,,2023

©Shailendra Anand
  #Silence विचार संग़ाम साथी
मित्र वार्ता,,

#Silence विचार संग़ाम साथी मित्र वार्ता,, #ज़िन्दगी

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