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प्रेम...⊙ मैं तो बस… इतना जानता हूँ कि… स्वयं मे

प्रेम...⊙ 

मैं तो बस…
इतना जानता हूँ कि…
स्वयं में #सभी_ऋतुएँ_है_वह…

जो कहीं ठहर जाये…
पतझड़…
चल पड़े तो… 
बहार…
खिलखिला दे तो… 
बसंत…
शांत हो जाये तो…
जाड़ा…
क्रोधित हो तो…
ग्रीष्म…

और आज जब उसने…
अपने गालों पर…
होली का रंग लगाया…
तो अविश्वसनीय सा…
लगने वाला यह मेरा प्रेम…
#फाल्गुन_के_रंग में…
रंग सा गया मैं…
जैसे इससे पहले…
मैं केवल ऋतुओं को जानता था…
रंगों को नहीं…
आज उसे देखकर…
संसार के सभी रंग…
मुझमें बिखर गये…
प्रेम का असीम सागर है वह…
ऋतुओं से भरी #गागर_है_वह ॥

#प्रेम✍️♥️🧔🏻

©पूर्वार्थ #फागुनकेरंग
प्रेम...⊙ 

मैं तो बस…
इतना जानता हूँ कि…
स्वयं में #सभी_ऋतुएँ_है_वह…

जो कहीं ठहर जाये…
पतझड़…
चल पड़े तो… 
बहार…
खिलखिला दे तो… 
बसंत…
शांत हो जाये तो…
जाड़ा…
क्रोधित हो तो…
ग्रीष्म…

और आज जब उसने…
अपने गालों पर…
होली का रंग लगाया…
तो अविश्वसनीय सा…
लगने वाला यह मेरा प्रेम…
#फाल्गुन_के_रंग में…
रंग सा गया मैं…
जैसे इससे पहले…
मैं केवल ऋतुओं को जानता था…
रंगों को नहीं…
आज उसे देखकर…
संसार के सभी रंग…
मुझमें बिखर गये…
प्रेम का असीम सागर है वह…
ऋतुओं से भरी #गागर_है_वह ॥

#प्रेम✍️♥️🧔🏻

©पूर्वार्थ #फागुनकेरंग