इन्सान होकर इन्सान पर ये कैसा ज़ुल्म कर रहा हैवानियत की सारी हदे पार कर रहा अपनी चंद पलो की हवस की भुख के लिए क्रुर गिद्धों जेसे जिस्म को नोच रहा हैवानियत कि हद ना बख्शती मासुम बचपन को हर मातृ-शक्ति शिकार-ए-जुल्म हो रही चीख पुकार आहे सब घुट कर रह गई, हाय भारत माँ तेरे आँचल को तेरे लाल ही लजा रहे Challenge-135 #collabwithकोराकाग़ज़ 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए :) #चीख #कोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with कोरा काग़ज़ ™️