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जीव और जीवन जीव वह अलौकिक ईश्वरीय अंश है जो शरीर क

जीव और जीवन
जीव वह अलौकिक ईश्वरीय अंश है जो शरीर को गति प्रदान करता है। जब तक वह अलौकिक ईश्वरीय अंश
शरीर में रहता है तबतक शरीर को जीवित और नहीं रहने
पर मृत माना जाता है। किसी भी शरीर में जीव के आने से लेकर जीव का शरीर से जाने तक के काल को जीवन
कहा जाता है। चुकी जीव ईश्वर का एक छोटा सा अंश है
इसीलिए  वह अमर है और जीव के बिना शरीर का अस्तित्व मिट जाता है इसलिए उसे नश्वर कहा जाता है। सही मायने में देखा जाय तो शरीर सुख और दुःख भोगने
का साधन है। कष्ट या सुख शरीर को नहीं जीव को होता है। कर्मों के हिसाब से ही जीव सुख या कष्ट भोगता है। जीव को आत्मा भी कहा जाता है और अनंत आत्माएं
जिस में विलीन हो जाती हैं उसे परमात्मा कहा जाता है।

©नागेंद्र किशोर सिंह
  #जीव और जीवन