कभी जो तुमको फुर्सत मिले,,, ज़माने से इजाजत मिले,, जुबान पे मेरा नाम फिसले,,प्रेम का फिर कहीं दिया जले,, निगाहों से जब दरिया निकले,,या मेरे जैसा कोई न मिले,, तो लौट आना तुम मुहब्बत की अपनी दुनिया में... जहाँ निगाहों में मेरी सिर्फ ख्वाब तुम्हारा था,, साँसों की माला पे सिर्फ नाम तुम्हारा था,, लबों ने सिर्फ तुम्हे ही पुकारा था,, गैरों की महफ़िल में तू ही हमारा था,, वक़्त गुजरा,, उम्र गुजरी, खत्म न कभी इंतजार हुआ,, कुछ भी नहीं बदला,, बदला सिर्फ जमाना है.. है वही पुरानी मुहब्बत,, चाहत का वही फ़साना है.. निगाहे जिन्हें पल पल ढूंढे,, इनका आज भी तू ही निशाना है.. तेरे घर की गलियों में,, आज भी आना जाना है.. जीत हुई मुहब्बत की मेरी,, हरा देखो जमाना है.. कभी जो तुमको फुर्सत मिले....... ©Asad_Poetry_25 सब्र रखते है बड़े ही सब्र से हम... वरना तेरे इंतेजार के लम्हे जानलेवा है... #asad_poetry_25 #ishq #Shayari poetry