कठपुतली नाचती अनवरत न थकान,न धाव,न निशान,न पहचान बस यूँ ही नाचना जीवन भर कर्म ,धर्म, चुनौती, नियति की कसौटी पर। खुशियों के नकाब पहने बेबसी के लिबाज ओढे़ उतरना प्रतिदिन अपने मंच पर अनवरत निरंतर सतत् । बागडोर किसी के हाथ में , कहानी किसी के हाथ में, और तालियाँ किसी के हाथ में। पारुल शर्मा #NojotoQuote कठपुतली नाचती अनवरत न थकान,न धाव,न निशान,न पहचान बस यूँ ही नाचना जीवन भर कर्म ,धर्म, चुनौती, नियति की कसौटी पर। खुशियों के नकाब पहने बेबसी के लिबाज ओढे़ उतरना प्रतिदिन अपने मंच पर अनवरत निरंतर सतत् ।